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मेरी आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं थी आतह अपना खर्च चलाने हेतु मैंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया।
शुरुवात में मैंने कक्षा 11 की 3 लड़कीयों को पढ़ाना शुरू किया रीमा, निशा और अंजली।
धीरे धीरे चात्राओं की संख्या बढ़ने लगी वसंख्या बढ़कर 13 हो गई।
पहले मैं अशलील बातों के बारे में सोचता भी ना था पर धीरे दो दोस्तों की संगती में आकर मेरे मन में भी अशलील ख्याल आने लगे।
सबसे पहले मुझे हस्तमैथन की आदत लगी, कॉलेज की मस्त कांडो, चूतों के बारे में सोचकर मैं मुठ मारने लगा।